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UCC बिल में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर बनाया गया कानून

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman

लिव-इन रिलेशनशिप, आधुनिक दौर के आधुनिक रिश्ते। इसका शाब्दिक अर्थ है प्रेमी जोड़े का शादी किए बिना अपने मर्जी से एक घर में एक छत के नीचे साथ रहना है। कुछ लोग कंपैटिबिलिटी चैक करने के लिए तो कुछ पारंपरिक विवाह व्यवस्था दिलचस्पी न होने के कारण लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। वादे को अमल करते हुए उत्तराखंड कि बीजेपी सरकार ने विधानसभा में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया।

लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी बनाया गया कानून । इसके मुताबिक लिव-इन रिलेशनशिप बनाने तथा खत्म करने कि प्रक्रिया कानूनी तौर पर होगी। कहने का मतलब है UCC के नियम के अनुसार यदि कोई कपल लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते है तो उन्हें जिले के रजिस्ट्रार के पास इसका रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। और अगर वह रिलेशनशिप खत्म भी करना चाहते हैं तो इसकी भी जानकारी देनी होगी। लिव-इन पार्टनर में यदि किसी की उम्र 21 साल से कम है तो जानकारी उसके माता-पिता को दे दी जाएगी।

रजिस्ट्रेशन न करवाने पर व गलत जानकारी देने पर कानूनी कार्रवाई कि जाएगी। यदि लिव-इन पार्टनर अपनी महिला पार्टनर को छोड़ देता है और संबंध से कोई बच्चे का जन्म होता है तो कानूनी तौर पर उस बच्चे को वैध माना जाएगा। उसके जैविक पिता को बच्चे का भरन- पोषण करना होगा और संपत्ति में भी हक देना होगा।

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