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द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman

बाबा मद्महेश्वर धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए हैं। शीतकाल में बाबा मद्महेश्वर की पूजा अर्चना ऊखीमठ स्थित श्री ओंकारेश्वर मंदिर में संपादित की जाएगी। कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर को पांच क्विटल फूलों से सजाया गया था। कपाट बंद होने के मौके पर सात सौ से अधिक तीर्थयात्री एवं स्थानीय श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

जिला सूचना कार्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, आज बुधवार 22 नवंबर कार्तिक मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि पूर्व भाद्रपदा नक्षत्र कुंभ राशि में प्रातः 8ः30 बजे विधि-विधान से पूजा अर्चना के बाद बंद हो गए हैं। श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष श्री अजेंद्र अजय ने भगवान श्री मदमहेश्वर जी के कपाट बंद होने पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि श्री मदमहेश्वर यात्रा को सुगम बनाने हेतु मंदिर समिति प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि द्वतीय केदार श्री मदमहेश्वर जी के कपाट बंद होने के साथ ही इस यात्रा वर्ष 2023 का समापन हो गया है।

देश के यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की प्रेरणा, मार्गदर्शन तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में चारधाम यात्रा में रिकाॅर्ड श्रद्धालु पहुंचे हैं। श्री हेमकुंड साहिब सहित उत्तराखंड चारधाम में यात्रा वर्ष 2023 में 56 लाख तीर्थयात्री धामों में दर्शन को पहुंचे हैं जोकि पिछले वर्ष से 10 लाख अधिक हैं।

श्री केदारनाथ धाम में 19 लाख 61 हजार, श्री बदरीनाथ धाम 18 लाख 41 हजार श्रद्धालु पहुंचे। इसके साथ ही विषम भौगोलिक परिस्थिति के बावजूद 13 हजार श्रद्धालु श्री मदमहेश्वर मंदिर तथा पहली बार एक लाख छत्तीस हजार श्रद्धालु तृतीय केदार तुंगनाथ पहुंचे है।

मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कि श्री मदमहेश्वर मंदिर के कपाट बंद होने तथा चलविग्रह डोली के प्रस्थान तैयारियों हेतु निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि कपाट बंद की तैयिरियों के बीच आज आज प्रातः 4 बजे श्री मदमहेश्वर मंदिर खुला भगवान मदमहेश्वर जी की अभिषेक जलाभिषेक पूजा हुई। 7ः30 बजे तक श्रद्धालु दर्शन करते रहे। उसके पश्चात् पुजारी बागेश लिंग ने कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू की।

भगवान शिव एवं भैरव नाथ, की पूजा-अर्चना संपन्न हुई। भगवान मदमहेश्वर के स्यंभू शिवलिंग को समाधि रूप देते हुए स्थानीय फूलों-शुष्क पुष्पों राख से ढ़क दिया। इसके बाद ममहेश्वर जी की चलविग्रह डोली के सभामंडप से बाहर आते ही 8ः30 बजे श्री मदमहेश्वर मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए।

भगवान मदमहेश्वर जी की चलविग्रह डोली ने भगवान मदमहेश्वर जी के मंदिर भंडार तथा पूजा तथा भोग के तांबे पीतल धातु निर्मित पुरातन बर्तनों का निरीक्षण किया। कपाट बंद होने के बाद मंदिर की परिक्रमा करते हुए श्री मदहेश्वर जी की चल विग्रह डोली प्रथम पड़ाव गौंडार के लिए प्रस्थान हुई।

इस अवसर पर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्पवान, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, डोली प्रभारी पारेश्वर त्रिवेदी, मृत्युंजय हीरेमठ, सूरज नेगी, दिनेश, बृजमोहन, संदीप नेगी, बृजमोहन कुर्मांचली तथा गौंडार गांव के हक हकूक धारी, पुलिस प्रशासन प्रतिनिधि सहित वन विभाग के कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन मौजूद रहे।

12 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने किए मदमहेश्वर के दर्शन

कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने जानकारी दी है कि इस यात्रा वर्ष 12 हजार सात सौ 77 श्रद्धालु भगवान मदमहेश्वर के दर्शन को पहुंचे हैं। मुख्य प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने कहा कि श्री मदमहेश्वर भगवान की चलविग्रह डोली के 25 नवंबर को श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचने पर मंदिर समिति तथा स्थानीय श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया जाएगा। उन्होंने बताया कि श्री मदमहेश्वर जी की चल विग्रह डोली आज 22 नवंबर को गौंडार गांव पहुंचेगी। 23 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी। 24 नवंबर को गिरिया तथा 25 नवंबर को चल विग्रह डोली पंच केदार गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी । इसके साथ श्री मदमहेश्वर जी की शीतकालीन पूजाएं शुरु हो जाएंगी।

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