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मूल निवासियों के मूल निवास प्रमाण पत्र की बनी रहेगी उपयोगिता, नहीं बनाने होंगे स्थाई निवास…

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman

23 साल बाद जाकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मूल निवास को फिर दी पहचान, मूल निवासियों के मूल निवास प्रमाण पत्र की बनी रहेगी उपयोगिता, नहीं बनाने होंगे स्थाई निवास, मूल निवासियों की पहचान बचाए रखने को सीएम धामी का बड़ा फैसला

देहरादून: राज्य गठन के 23 साल बाद जाकर उत्तराखंड के मूल निवासियों को फिर पहचान मिली है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मूल निवास प्रमाण पत्र को न मानने वालों के सख्त कदम उठाते हुए नई व्यवस्था जारी कर दी है। अब ऐसे मूल निवासी, जिनके मूल निवास प्रमाण पत्र बने हुए हैं, उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की कोई जरूरत नहीं होगी। उनके पुराने मूल निवास प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे। उनके मूल निवास प्रमाण पत्र की पहचान बनी रहेगी। मूल निवासियों की पहचान बचाए रखने और मूल निवास प्रमाण पत्र के महत्व को बनाए रखने को सीएम धामी की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है।

इस फैसले के तहत सचिव विनोद कुमार सुमन ने बुधवार को स्पष्ट आदेश जारी कर दिए हैं। इस आदेश के तहत अब मूल निवास प्रमाण पत्र धारक से कोई भी विभाग स्थाई निवास प्रमाण पत्र की मांग नहीं करेगा। सरकारी नौकरियों, सरकार की योजनाओं में मूल निवास प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे। सरकारी विभागों में मूल निवास प्रमाण पत्र की इस अनदेखी का स्वयं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लिया था। सीएम की सख्ती के बाद ही तत्काल सचिव सामान्य प्रशासन की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं।

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