उत्तराखंड के दो नगर निकायों ने कूड़े से बिजली और खाद का उत्पादन शुरू कर एक नई राह दिखाई
Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip
शहरों में कूड़ा प्रबंधन अपने आप में एक चुनौती पूर्ण कार्य है। बढ़ती आबादी से शहरों में कूड़ा उत्पादन दिनों-दिन बढ़ रहा है, इस कारण नगर निकायों के सामने, स्वच्छता से लेकर पर्यावरण प्रदूषण की भी चुनौती पेश आ रही है। लेकिन उत्तराखंड के दो नगर निकायों ने अब इस कूड़े से बिजली और खाद का उत्पादन शुरू कर एक नई राह दिखाई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी विभागों को निर्देशित किया है कि विकास की हर योजना में इकोलॉजी और इकोनॉमी का संतुलन बनाए रखा जाए। इसी कड़ी में शहरी विकास विभाग के अंतर्गत रुद्रपुर नगर निगम और मसूरी नगर पालिका ने वेस्ट टू एनर्जी पॉलिसी के तहत कचरे से बिजली उत्पादन की शुरुआत की है। इस पहल के माध्यम से रुद्रपुर नगर निगम ने वर्षों पुराने कूड़े के ढ़ेर का भी सफल निस्तारण किया है।
40 वार्ड वाले रुद्रपुर नगर निगम से प्रतिदिन 105 से 118 मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता है। पहले बड़ी संख्या में कूड़ा डम्पिंग साइट पर बिना निस्तारण के ही लंबे समय तक पड़ा रहता था। इसके लिए नगर निगम ने नवंबर 2022 में पीपीपी मॉडल के तहत वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पर काम प्रारंभ किया। जो अब बिजली के साथ ही जैविक खाद भी उत्पादन करने लगा है। इस प्लांट की क्षमता 50 टन प्रतिदिन कूड़ा निस्तारण की है, वर्तमान में यह प्लांट अभी 30 टन कूड़ा प्रतिदिन इस्तेमाल कर पा रहा है। जिससे अभी रोजाना छह किलोवाट बिजली के साथ ही कल्याणी नाम से जैविक खाद भी बन रही है।
मसूरी नगर पालिका ने भी इसी साल मई से वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से उत्पादन शुरू कर दिया है। पीपीपी मोड के इस प्लांट की क्षमता प्रतिदिन आठ टन प्रतिदिन कूड़ा निस्तारण की है, इस कूड़े से नगर पालिका बायो गैस पैदा करती है, साथ ही जैविक खाद का भी उत्पादन किया जा रहा है। इससे मसूरी जैसे पर्यटक स्थल पर कूड़े की समस्या का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण संभव हो पाया है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार पहले दिन से ही इकोलॉजी और इकोनॉमी में संतुलन बनाने पर जोर दे रही है। ग्रीन इकोनॉमी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसी क्रम में नगर निकायों में कूड़े से बिजली पैदा की जा रही है। इसके लिए वेस्ट टू एनर्जी पॉलिसी भी तैयार की गई है। हम हर हाल में उत्तराखण्ड के पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं।
