कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना, कहा- देश को ‘फ्री ट्रेड’ नहीं बल्कि ‘फ्यूजिटिव ट्रांसफर एग्रीमेंट’ चाहिए
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जयराम रमेश बोले – भगोड़े विजय माल्या, नीरव मोदी और ललित मोदी अब भी हैं विदेश में
भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर हस्ताक्षर से पहले ही राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस समझौते को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देश को ‘फ्री ट्रेड’ नहीं बल्कि ‘फ्यूजिटिव ट्रांसफर एग्रीमेंट’ की ज़रूरत है, ताकि देश के आर्थिक अपराधी जैसे विजय माल्या, नीरव मोदी और ललित मोदी वापस लाए जा सकें। इसके साथ ही पार्टी ने FTA के संभावित आर्थिक प्रभावों पर भी सवाल उठाए हैं।
कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते हुए केंद्र की विदेश नीति और भगोड़ों की वापसी की धीमी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा, “आज लंदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भारत-ब्रिटेन के बीच FTA पर हस्ताक्षर होंगे, लेकिन भारत को असल में चाहिए ‘फ्यूजिटिव ट्रांसफर एग्रीमेंट’।” उन्होंने कटाक्ष किया कि “मोदी मॉडल के तीन प्रमुख भगोड़े — विजय माल्या, नीरव मोदी और ललित मोदी — अब भी घर वापसी की राह देख रहे हैं।”
घरेलू उद्योगों पर असर को लेकर चिंता
FTA से पहले कांग्रेस ने इस समझौते की पारदर्शिता और संभावित असर को लेकर सवाल खड़े किए। पार्टी का दावा है कि यह समझौता भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि किन क्षेत्रों में व्यापारिक छूट दी गई है और इससे असल लाभ किसे होगा।
व्यापार समझौते की प्रमुख बातें
यह व्यापार समझौता ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। समझौते के तहत भारत के लगभग 99% निर्यात उत्पादों पर ब्रिटेन में टैरिफ समाप्त किया जाएगा। इसके बदले ब्रिटेन को व्हिस्की, कार और लक्जरी उत्पादों के लिए भारतीय बाज़ार में अधिक पहुंच मिलेगी। यह समझौता दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।
‘यूके-इंडिया विजन 2035’ की शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की मौजूदगी में ‘यूके-इंडिया विजन 2035’ भी लॉन्च किया जाएगा। इस पहल के जरिए दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी सहयोग को अगले दशक तक विस्तार देने की योजना है।
तीन वर्षों की लंबी वार्ता का परिणाम
इस FTA के मसौदे को अंतिम रूप देने में दोनों देशों के बीच तीन साल से अधिक वक्त की बातचीत लगी। समझौते के तहत भारत को ब्रिटिश बाजार में व्यापक पहुंच मिलेगी और 99% से अधिक टैक्स श्रेणियों में टैरिफ छूट मिलने की उम्मीद है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार नई ऊंचाइयों को छू सकेगा।