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रीढ़ की हड्डी की बीमारी, काइफ़ोस्कोलियोसिस की शुरुआत में डायग्नोसिस और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाने की मुहिम शुरू की

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip

 मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स, फ़रीदाबाद को रीढ़ की हड्डी से संबंधित काइफ़ोस्कोलियोसिस नामक एक गंभीर बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए अपने सहयोग और प्रतिबद्धता की घोषणा करते हुए गौरव का अनुभव हो रहा है। दुनिया भर में लाखों लोग रीढ़ की हड्डी से संबंधित इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं, जिसे देखते हुए ब्रेन एंड स्पाइन सर्जरी विभाग में डॉक्टरों की टीम ने इस बीमारी से पीड़ित लोगों को सही जानकारी देने, उनकी हिमायत करने और सहायता उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। इस टीम की कमान डॉ. तरुण शर्मा, डायरेक्टर एवं एचओडी, के हाथों में है, जिसमें उन्हें डॉ. सचिन गोयल, सीनियर कन्सलटेंट, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद का सहयोग प्राप्त है।

काइफ़ोस्कोलियोसिस एक गंभीर बीमारी है, जिसमें रीड की हड्डी में दो सतहों का कर्वेचर: यानी काइफोसिस, जो आगे से पीछे की ओर कर्वेचर है, तथा स्कोलियोसिस जो अगल-बगल की ओर कर्वेचर है, असामान्य हो जाता है। इस बीमारी की वजह से कई तरह की परेशानियां सामने आ सकती हैं, जिसमें कॉस्मेटिक डिफॉर्मिटी (पीठ के ऊपरी हिस्से पर एक कूबड़), चलने-फिरने में कठिनाई, सांस लेने संबंधी समस्याएँ और पुराना दर्द शामिल है। काइफोसिस और स्कोलियोसिस, दोनों एक साथ होने पर काइफ़ोस्कोलियोसिस की समस्या उत्पन्न होती है। यह बीमारी मामूली से लेकर गंभीर तक हो सकती है, जिसमें पीठ दर्द, सांस लेने में तकलीफ, चलने-फिरने में कठिनाई जैसे कई तरह के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

डॉ. तरुण शर्मा, डायरेक्टर एवं एचओडी, न्यूरोसर्जरी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फ़रीदाबाद, कहते हैं, “हम काइफ़ोस्कोलियोसिस से पीड़ित लोगों के लिए शुरूआत में डायग्नोसिस, चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता और उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए इसके बारे में जागरूकता फैलाने की अहमियत को अच्छी तरह समझते हैं। लोगों को जानकारी देने के लिए पहलों की शुरुआत, सामुदायिक संपर्क कार्यक्रमों और चिकित्सा कर्मियों के साथ सहयोग के ज़रिये, हम काइफ़ोस्कोलियोसिस से पीड़ित मरीजों और उनकी देखभाल करने वालों को जानकारी एवं सहायता के साथ सक्षम बनाना चाहते हैं। हम इस बीमारी से पीड़ित लोगों के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालने और उनकी तंदुरुस्ती को बेहतर बनाने के अपने इरादे पर अटल हैं।”

डॉ. सचिन गोयल, सीनियर कन्सलटेंट, न्यूरोसर्जरी विभाग, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद कहते हैं, “हम सभी को अपने आस-पास के लोगों में इस तरह के लक्षणों के बारे में जानकारी साझा करके काइफ़ोस्कोलियोसिस जागरूकता कार्यक्रम में अपना सहयोग देने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि इस दिशा में उठाया गया हर कदम काइफ़ोस्कोलियोसिस से पीड़ित लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकता है।”

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