Search for:
  • Home/
  • Breaking News/
  • साइंटिस्ट डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

साइंटिस्ट डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक

Listen to this article

Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandi

भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का शनिवार तड़के निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे। परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारी ने बताया कि तड़के 3 बजकर 20 मिनट पर मुंबई जसलोक अस्पताल में राजगोपाला ने अंतिम सांस ली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. राजगोपाला के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भारत की वैज्ञानिक और कूटनीतिक ताकत को मजबूत करने में डॉ. राजगोपाला की अहम भूमिका रही। वे भारत के परमाणु प्रोग्राम के निर्माताओं में से एक थे। आने वाली पीढ़ियां उनके किए कामों से प्रेरणा लेगी।”

पोखरण परमाणु टेस्ट में साइंटिस्ट की टीम को लीड किया, पद्म विभूषण से सम्मानित

>> डॉ. राजगोपाला का जन्म चेन्नई में 1936 में हुआ। चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से पढ़ाई की।
>> 1974 के न्यूक्लियर टेस्टिंग टीम में डॉ. राजगोपाला ने अहम भूमिका निभाई।
>> 1998 में हुए पोखरण परमाणु टेस्ट-2 में उन्होने टीम को लीड किया।
>> डॉ. राजगोपाला को 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
>> 1990 में उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भी संभाली।
>> डॉ. राजगोपाला 1993 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी बने। इस पद पर वे 2000 तक रहे। वे भारत के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे।

डॉ. चिदंबरम ने सुनाया था पोखरण का किस्सा, कहा- प्लूटोनियम से एक मिनट दूर नहीं हुआ

डॉ. चिदंबरम ने एक इंटरव्यू में बताया कि प्लूटोनियम को ट्रांसपोर्ट करना चुनौतीपूर्ण काम था। इस ऑपरेशन को पूरी तरह से गुप्त रखा गया था ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक न लगे। प्लूटोनियम को मुंबई के भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) से पोखरण के लिए मिलिट्री ट्रक के जरिए भेजा गया था। डॉ. चिदंबरम ने आगे कहा कि प्लूटोनियम ऐसे पैक किया गया ताकि यह किसी साधारण सामान जैसा लगे। ये कंटेनर रेडिएशन से सुरक्षित थे। रात में एक जगह प्लूटोनियम ले जाने वाला काफिला रुका, तब डॉ. पीआर रॉय जिन्होंने प्लूटोनियम बनाया था और डॉ. चिदंबरम उसी बॉक्स के पास सोए। जबकि आर्मी ने उनके लिए अलग से सोने का इंतजाम किया था। काफिले में शामिल जवान इस बात पर हैरान थे कि आखिर उस बॉक्स में ऐसा क्या था।

डॉ. चिदंबरम ने कहा था- न्यूक्लियर साइंस में बाकी देश एक-दूसरे की मदद करते हैं, भारत अकेला खड़ा है

डॉ. चिदंबरम ने जून 2024 में एक इंटरव्यू में कहा की पूरी दुनिया में सिर्फ भारत ही अपनी न्यूक्लियर टेक्नॉलोजी और प्रोजेक्ट्स में अकेला खड़ा है। दुनिया के बाकी देशों के प्रोजेक्ट में अलग-अलग देश अपनी-अपनी भूमिका निभाते हैं। डॉ. चिदंबरम ने कहा था कि अमेरिका के मैनहैटन प्रोजेक्ट में ब्रिटेन भी शामिल है। रूस-चीन, चीन-पाकिस्तान, अमेरिका-फ्रांस, फ्रांस-इजराइल में भी न्यूक्लियर रिलेशनशिप है, लेकिन भारत अपने न्यूक्लियर प्रोजेक्ट अकेले ही करते आया है। डॉ. चिदंबरम ने कहा कि भारत को दूसरे देशों के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट की जासूसी करने की जरूरत नहीं रही है। न ही दूसरे देशों की टेक्नॉलोजी को चोरी करने की जरूरत है। हमारे पास अपनी ही वर्ल्ड क्लास विशेषज्ञों की टीम है।

DAE ने कहा- डॉ. राजगोपाला साइंस-टेक्नोलॉजी के अगुआ

भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी ने कहा, ” उनके योगदान की बदौलत भारत दुनिया में परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित हुआ। उन्हें दुनिया की कई यूनिवर्सिटीज से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई।” डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी ने कहा- उनका जाना देश और हमारी साइंटिफिक कम्यूनिटी के लिए अपूरणीय क्षति है। वे साइंस और टेक्नोलॉजी के अगुआ थे, उनके कामों ने देश को आत्मविश्वास और न्यूक्लियर पावर दी।”

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required