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भारत को परमाणु और जैविक खतरों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandi

सैन्य नर्सिंग सेवा शताब्दी समारोह में सीडीएस जनरल ने दिया सुरक्षा प्रोटोकॉल पर जोर

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि आने वाले समय में भारत को परमाणु और जैविक खतरों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। मानेकशॉ सेंटर में सैन्य नर्सिंग सेवा (MNS) के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध केवल हथियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि डेटा और चिकित्सा सुरक्षा भी इसका अहम हिस्सा बन गए हैं।

जनरल चौहान ने कहा कि चिकित्सा डेटा की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए क्योंकि भारतीय डीएनए और हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली अलग-अलग परिस्थितियों में अलग ढंग से प्रतिक्रिया करती है। ऐसे में व्यक्तिगत मेडिकल रिकॉर्ड, केस हिस्ट्री, स्वास्थ्य पैटर्न और परिचालन योजनाओं को लीक से बचाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि भले ही यह सीधी जिम्मेदारी सैन्य नर्सिंग सेवा की न हो, लेकिन उन्हें इन खतरों के प्रति जागरूक रहना होगा।

उन्होंने कोविड महामारी का उल्लेख करते हुए कहा कि भविष्य में जैविक खतरों के बढ़ने की आशंका है। चाहे ये खतरे प्राकृतिक हों, आकस्मिक हों या मानव निर्मित, इनके लिए अलग उपचार और सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार करने की जरूरत होगी।

उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद, हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि भारत परमाणु ब्लैकमेलिंग से नहीं डरेगा। हमारे विचार से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की संभावना बहुत कम है, फिर भी समझदारी इसमें है कि हम इससे बचाव की तैयारी करें। रेडियोलॉजिकल खतरे से बचाव के लिए अलग प्रोटोकॉल की जरूरत होती है और यह हमारे प्रशिक्षण का हिस्सा होना चाहिए। परमाणु खतरों के खिलाफ तैयारी इससे बचाव में योगदान करती है। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है।’

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