तीर्थ सेवा न्यास का प्रथम तीर्थ सेवक प्रशिक्षण शिविर सफलतापूर्वक सम्पन्न
Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandi
तीर्थ सेवा न्यास द्वारा हरिद्वार के भूपतवाला स्थित ओम मुरारी आश्रम में आयोजित प्रथम तीर्थ सेवक प्रशिक्षण शिविर में देशभर से आए वालंटियर्स ने भाग लिया। इस शिविर में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब से आए सेवकों को विश्व सनातन महापीठ तथा #Save5G अभियान के उद्देश्य एवं आवश्यकता पर विस्तार से प्रशिक्षित किया गया। पूरे दिन चले इस शिविर को दो सत्रों में विभाजित किया गया।
पहले सत्र में न्यास के संरक्षक परमाध्यक्ष बाबा हथयोगी ने सनातन धर्म के वर्तमान संकट पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “आज धर्म, संस्कृति और परम्पराओं को बचाना ही सबसे बड़ा कर्तव्य है।”
मुख्य अतिथि, सनातन महासंघ के अध्यक्ष गौतम खट्टर ने युवाओं की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि “राष्ट्र व धर्म की रक्षा तभी संभव है जब युवा संस्कारों और परम्पराओं से जुड़े।”
न्यास के अध्यक्ष तीर्थाचार्य राम विशाल दास महाराज ने न्यास के #Save5G अभियान को वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता बताया और कहा—“गाय, गांव, गंगा, गुरुकुल और गौरव का संरक्षण ही सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का मार्ग है।” न्यास की कोषाध्यक्ष डॉ. पूजा श्री ने प्रबंधन, अनुशासन और संगठन विस्तार की रणनीति पर मार्गदर्शन दिया।

महामंत्री महन्त ओमदास महाराज ने तीर्थ सेवकों को राष्ट्र निर्माण और धर्म रक्षा का स्तंभ बताया।
उपाध्यक्ष ए. के. सोलंकी, समन्वयक शिशिर चौधरी और मंत्री राजेश कुमार ने बताया कि बड़े स्तर पर तीर्थ सेवक निर्माण अभियान चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत देशभर के चरित्रवान युवक-युवतियों को विश्व सनातन महापीठ निर्माण एवं गाय, गांव, गंगा, गुरुकुल, गौरव संरक्षण अभियान से जोड़कर रोजगार और सेवा का अवसर उपलब्ध कराया जाएगा।
न्यास के Teerth Sewak App के माध्यम से बड़ी संख्या में सेवकों को जोड़ने की कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई।
कार्यक्रम में प्रबंधक प्रशान्त शर्मा, एडमिन हेड स्नेहा खुराना, मार्केटिंग हेड सुजाता शर्मा, आई.टी. हेड आशीष भट्ट, निजी सहायक अभिषेक शर्मा तथा धर्म जागरण के प्रदेश संयोजक राहुल कुमार की उपस्थिति रही।
तीर्थ सेवा न्यास का यह शिविर भविष्य में देशव्यापी अभियान का आधार बनेगा, जिसका लक्ष्य है विश्व सनातन महापीठ की स्थापना और सनातन मूल्यों, प्रकृति की रक्षा करना है।