मिर्गी रोगः जानिए कैसे करें चिकित्सा
Kuldeep khandelwal/ niti sharma/ kaviraj singh chauhan/ Vineet Dhiman
1ः- अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रातःकाल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब 6 माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।
2ः-एप्सम साल्ट (मेग्नेशियम सल्फेट) मिश्रित पानी से मिर्गी रोगी स्नान करंे। इस उपाय से दौरों में कमी आ जाती है और दौरे भी ज्यादा भयंकर किस्म के नहीं आते हैं।
3ः-मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर प्रयुक्त करना अत्यंत लाभकारी उपचार है। एक घंटे बाद नहा लें। इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा।
4ः- विटामिन बी-6 (पायरीडाक्सीन) का प्रयोग भी मिर्गी रोग में परम हितकारी माना गया है। यह विटामिन गाजर, मूम्फली, चावल, हरी पतीदार सब्जियां और दालों में अच्छी मात्रा में पाया जाता है। 150-200 मिलिग्राम विटामिन बी-6 लेते रहना अत्यंत हितकारी है।
5ः- मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।
6ः- मिर्गी रोगी को 250 ग्राम बकरी के दूध में 50 ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रातरू दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आजमाएं।
7ः- रोजाना तुलसी के 20 पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
पेठा मिर्गी की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है, लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शकर और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।
100 मिलि दूध में इतना ही पानी मिलाकर उबालें दूध में लहसुन की 4 कुली चाकू से बारीक काटक्रर डालें। यह मिश्रण रात को सोते वक्त पीयें। कुछ ही रोज में फायदा नजर आने लगेगा।
गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य खाएं।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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