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उत्तराखण्ड़ की लोक संस्कृति व लोक परम्पराओं का जीवन्त दर्शन है देव डोलियां

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip


देव संस्कृति विश्वविद्यालय शान्ति कुञ्ज हरिद्वार में देव डोलियों व वाध यन्त्रों के समागम कार्यक्रम के अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण मुख्य अतिथी के रुप में पंहुची सर्वप्रथम मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष व देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा०चिन्मय पण्डया स्वामी श्री ज्ञानान्द जी महाराज के द्वारा संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलन व पुष्पाञ्जली अर्पण करने के पश्चात कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया गया।

विधानसभा अध्यक्ष ने अपने उद्धबोधन में आचार्य श्रीराम शर्मा व पुज्य माता भगवती देवी का स्मरण करते हुए कहा कि परमश्रद्धेय आचार्य जी ने जो वृक्ष लगाया था वह आज वटवृक्ष बनकर युग निर्माण से राष्ट्र निर्माण की अपनी संकल्पना को स्पष्ट रुप से पूर्ण कर रहा है , देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पाठयक्रमों में राष्ट्र के नैतिक, बौद्धिक ,सामाजिक व वैज्ञानिकता के सभी विषयों का अध्ययन के साथ प्रबंधन भी सिखाया जाता है।

श्रीमती खण्डूडी ने कहा कि
उत्तराखंड की लोक संस्कृति व लोक परम्पराएं विशेषताओं से भरी हुई है, देव डोलियां ,देव जात्रा या देवरा यात्रा जैसी अनुठी परम्पराऐ़ भी देव भूमी उत्तराखंड की धार्मिक व पौराणिक संस्कृति का प्राचीन हिस्सा रही है जो शदियों से आमजन की आस्था व विश्वास के प्रतीक व समाज को एक सुत्र में जोड़ने का काम भी करती रही है ।

विधान सभा अध्यक्ष ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय के द्वारा इस समागम की प्रसंशा करते हुये कहा कि उत्तराखंड की प्राचीन ज्ञान परम्पराओं का लोक जीवन , लोक संस्कृति में विशेष महत्व रहा है जिसमें देव डोलियों का यात्रा भ्रमण प्रमुख पर्वों स्नान व अनुष्ठानों का आयोजनों होता रहा है ।
विधानसभा अध्यक्ष ने इस धार्मिक आयोजन के समागम हेतु देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा०चिन्मय पण्डया जी. का विशेष धन्यवाद दिया व देव संस्कृति विश्वविद्यालय अपनी पहचान के अनुरुप भारतीय संस्कृति व परम्पराओं को संरक्षित करने के प्रयास की भुरी -भुरी प्रशंसा की ।

कार्यक्रम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के समस्त आचार्य एवं आचार्या सभी छात्र –छात्राऐं व शान्ति कुञ्ज के सभी प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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