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डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल की कॉफी टेबल बुक का सीएम व अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने किया विमोचन

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip

जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा तैयार की गई कॉफी टेबल बुक दि एटर्नल लॉर्ड ग्रेट शिव टेम्पल्स ऑफ उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, आचार्य बाल कृष्ण, गायक हंसराज रघुवंशी, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्रपुरी महाराज द्वारा संयुक्त रूप से विमोचन किया गया।

यह पुस्तक भगवान शिव के महानतम स्वरूप सदाशिव से प्रेरित है। राज्य में इस प्रकार की किताब का पहली बार प्रकाशन है जिसमें भगवान शिव के लगभग सभी मन्दिरों की जानकारियां दी गई हैं। यह पुस्तक भारतीय परम्परा में भगवान शिव के आध्यात्मिक, धार्मिक, सामाजिक व ऐतिहासिक आयामों के तो परिचित कराती ही है। उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक तथा सामाजिक परिप्रेक्ष्य में उनकी उल्लेखनीय उपस्थिति पर महत्वपूर्ण जानकारियां भी उपलब्ध कराती है।


पुस्तक कहा सबसे महत्वपूर्ण अंश उत्तराखण्ड के कुमाऊॅ और गढ़वाल क्षेत्रों में अवस्थित सबसे महत्वपूर्ण शिव मन्दिरों का विस्तृत वर्णन है। पुस्तक के इस खण्ड में पंच केदार धाम से लेकर जागेश्वर तथा बेजनाथ जैसे अनेक पुरातन शिव मन्दिरों से सम्बन्धित मिथकीय व लोक आधारित आयामों को विस्तार से स्थान दिया गया है। ऐंसे अनेक लोकप्रिय मन्दिरों के अतिरिक्त राज्य के सुदूर क्षेत्रो में स्थित अनेक ऐंसे शिव मन्दिरों के विषय में भी अनूठी जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं, जिनके बारे में सामान्य जन की जानकारी बहुत अधिक नहीं रही है।

किताब में उत्तराखण्ड के इन पुरातन शिव मन्दिरो में दृष्टिगोचर होने वाली विविध वास्तुशिल्पनीय विशेषताओं तथा शैलियों के विषय में भी आकर्षक तथ्य जुटाए गए हैं। इन शिव मन्दिरों की विभिन्न शैलीगत घटकों और प्रवृत्तियों के कलात्मक तथा एहितहासिक आयामों का परिचय भी दिया गया है।


शताब्दियों से देश-विदेश के संत-सन्यासियों, तीर्थयात्रियों, यात्रियों, शोधकर्ताओं तथा इतिहासवेत्ताओं को आकर्षित करने वाले इन महान शिव-मंदिरों का महातम्य अनेक शाखों तथा ग्रंथों में उपलब्ध है। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल का मानना है कि भगवान शिव को समर्पित ये मंदिर महान भारतीय वास्तुशिल्प की प्राचीन जड़ों का प्रामाणिक साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं और एक ऐसे इतिहास की और संकेत करते हैं जो कलात्मक व सांस्कृतिक रूप से विलक्षण ऊंचाइयां प्राप्त कर चुका था. इस अर्थ में भगवान शिव के आराधना-स्थल हमारी सबसे प्रमुख सामूहिक, सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर हैं. इस धरोहर को सुरक्षित तथा संरक्षित बनाये रखना हमारी वरीयता है और इस दिशा में लगातार नई योजनाओं का निर्माण और क्रियान्वयन किया जाता रहेगा।


इस किताब में उत्तराखण्ड राज्य में स्थित भगवान शिव के लगभग सभी मन्दिरों की पौराणिक एवं एतिहासिक जानकारियों, महत्व, मन्दिरों की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। यह राज्य में पहली बार है कि इस प्रकार की कॉफी टेबल बुक का प्रकाशन किया गया है। यह किताब राजय में आने वाले शिव भक्तों के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इस किताब के सहयोग से शिव भक्त उत्तराखण्ड राज्य में स्थित शिव मन्दिरों की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं तथा मन्दिरो तक आसानी से पहुॅच सकते हैं।

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