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आज शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे गंगोत्री धाम के कपाट, बाबा केदार-बद्री में भी तैयारियां जारी…

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Kuldeep khandelwal/ niti sharma/ kaviraj singh chauhanVineet Dhiman

उत्तराखंड में शितकाल के लिए धामों के कपाट बंद करने की कवायद शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि सबसे पहले गंगोत्री धाम के कपाट बंद होंगे। विश्व विख्यात गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए मंगलवार को बंद होंगे। मां गंगा के शीतकालीन पड़ाव मुखवा स्थित गंगा मंदिर को भी फूलों से सजाया जा रहा है। जबकि 15 नवंबर को बाबा केदार और यमुनोत्री मंदिर के कपाट विधि विधान से बंद होंगे। बाबा बद्री के कपाट भी बंद करने की तैयारियां जारी है।

मिली जानकारी के अनुसार माँ गंगा के आज 14 नवंबर को अन्नकूट पर्व पर 11 बजकर 47 मिनट पर देश विदेश के आम श्रद्धालुओं के लिए कपाट बन्द कर दिए जाएंगे। 12 बजे दोपहर में माँ गंगा की उत्सव डोली शीत कालीन प्रवास मुखवा गाँव के रवाना होगी। रात्रि विश्राम देवी मंदिर में करने के बाद 15 नवंबर को दोपहर 1pm पर शीत कालीन गंगा मंदिर में मा गंगा की भोग मूर्ति व उत्सव डोली प्रवास करेंगी ।
आम श्रदालु 15 नवंबर से मुखवा में माँ गंगा के दर्शन कर पाएंगे । बदरीनाथ, केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की तैयारियां शुरू हो गईं है।

15 नवंबर को सुबह साढ़े आठ बजे बाबा केदार के कपाट बंद होंगे। जिसके बाबा केदार की पंचमुखी डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।  बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे। इससे पहले बदरीनाथ में पंच पूजा की रस्में निभाई जाएंगी। बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद करने से पहले आज से पंच पूजा की जाएगी। बताया जा रहा है कि 14 नवंबर को दिनभर पूजा-अर्चना कर शाम को गणेश के कपाट बंद होंगे। 15 नवंबर दोपहर के समय आदि केदारेश्वर मंदिर, आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद होंगे। 16 नवंबर तीसरे दिन खडग पुस्तक पूजन के बाद वेद का पाठ बंद हो जाएगा। 17 नवंबर को माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना कर कढ़ाई भोग लगेगा। 18 नवंबर को रावल स्त्री भेष धारण कर लक्ष्मी माता को बदरीनाथ के सानिध्य में रखेंगे। इसके बाद विधि विधान से शाम तीन बजकर 33 मिनट पर कपाट बंद होंगे।

गौरतलब है कि इस बार 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने से चारधाम यात्रा का आगाज हुआ। 25 अप्रैल को केदारनाथ और 27 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से यात्रा पूर्ण रूप से संचालित हुई। प्रदेश सरकार ने यात्रा के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया है। इसमें 75 लाख तीर्थयात्रियों पंजीकरण कराया है। अब तक 56.65 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। जो चारधाम यात्रा के इतिहास में नया रिकॉर्ड है।

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