भाजपा की मेयर दावेदार मोनिका सैनी का पलड़ा भारी
Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip
निकाय चुनावों का बिगुल बजते ही अब प्रत्याशियों के चयन को लेकर पार्टी संगठनों में गतिविधियां तेज हो गई हैं। हरिद्वार नगर निगम सीट पर मेयर के दावेदारों में होड़ मची है। भाजपा संगठन प्रत्याशी चयन के लिए दावेदारों के नामों पर मंथन कर रहा है। हरिद्वार मेयर प्रत्याशी की बात करें तो ओबीसी महिला सीट होने के चलते विकास का दृष्टिकोण रखने वाली प्रत्याशी मोनिका सैनी की दावेदारी प्रबल है। यूं तो संगठन की रायशुमारी के बाद चार दावेदारों में एक प्रत्याशी का नाम फाइनल होना है। जिसमें मोनिका सैनी की दूरदर्शी जमीनी स्तर की सोच के चलते उनका नाम सबसे ऊपर है।
मोनिका सैनी पूर्व पार्षद भी हैं। उनके पास जहां अपने वार्ड में जनता की समस्याओं का निवारण कराने का अनुभव है वहीं वह भाजपा संगठन की तेज तर्रार कार्यकर्ता भी मानी जाती हैं। उनके अनुभव और संगठन के प्रति निष्ठा को देखते हुए उनकी दावेदारी अधिक मजबूत बतायी जा रही हैं। हालांकि उनके सामने दूसरा बड़ा नाम किरन जैसल का है। किरन जैसल भी पूर्व पार्षद हैं और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुभाषचंद की पत्नी है। अब देखना यही है कि भाजपा इस सीट पर काबिज होने के लिए कौन सा मजबूत प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगी।
भाजपा स्वच्छ छवि वाला स्वतंत्र प्रत्याशी मैदान में उतारेगी या फिर परिवारवाद सोच वाली रणनीति से प्रत्याशी खड़ा करेगी। हरिद्वार मेयर सीट पर अपनी पंसद का प्रत्याशी उतारने के लिए शहर विधायक मदन कौशिक, पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद और पूर्व विधायक संजय गुप्ता के अलावा पूर्व मेयर मनोज गर्ग भी जुगत लगा रहे हैं। अब देखना यही है कि संगठन इनमें से किसी की पंसद का प्रत्याशी उतारता है या फिर कोई नया चेहरा सामने लाता है।
हालांकि हरिद्वार मेयर की सीट के लिए भाजपा संगठन विकास के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर प्रत्याशी के चयन का निर्णय करेगा तो मोनिका सैनी प्रत्याशी रहेगी। अगर गुटबाजी के चलते प्रत्याशी चयन का निर्णय होगा तो निसंदेह हरिद्वार को भाजपा की ओर से कमजोर प्रत्याशी देखने को मिलेगा। जिसके पति की हस्तक्षेप से ही नगर निगम संचालित होगी।
पूर्व के मेयर की बात करें तो भाजपा पूरे पांच सालों में कांग्रेस की मेयर अनिता शर्मा पर उनके पति अशोक शर्मा के हाथों की कठपुतली होने का ही आरोप लगाती रही। अनीता शर्मा एक घरेलू महिला होने के चलते राजनैतिक समझबूझ को कम ही समझती रही। यही कारण रहा कि भाजपा के पार्षदों से मुकाबला करने के लिए अशोक शर्मा को दखल देनी पड़ी।