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हरिद्वार के बिहारीनगर गांव को बनाया अश्वगंधा विलेज, जानें क्षेत्र वासियों के लिए कैसे फायदेमंद होगी यह पहल

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip

अश्वगंधा सहित अन्य जड़ी बूटियों की मांग इन दिनों तेजी से बढ़ी है। जड़ी बूटियों की खेती और इसके उत्पाद बनाकर मोटी कमाई कर सकते हैं। अश्वगंधा का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में होता है। जिले के नोडल अधिकारी डॉ अवनीश उपाध्याय बताते हैं कि अश्वगंधा के फल, बीज और छाल के प्रयोग से कई प्रकार की दवाईयां बनाई जाती हैं। तनाव और चिंता को दूर करने में अश्वगंधा को सबसे फायदेमंद माना जाता है। इसकी खेती से किसान धान, गेहूं और मक्का की खेती के मुकाबले 50 फ़ीसदी तक अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। जिला आयुर्वैदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ स्वास्तिक सुरेश ने बताया कि आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग उत्तराखंड के द्वारा आज जनपद हरिद्वार के तीन गांवों को जड़ी बूटी ग्राम घोषित किया गया इन गांवों के हर घर में अब जड़ी बूटी का पौधा देखने को मिलेगा इस योजना के अंतर्गत ग्राम बिहारीनगर को अश्वगंधा ग्राम, जगजीतपुर को तुलसी ग्राम और भोगपुर को गिलोय ग्राम बनाया गया है इन ग्रामों का समर्थन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के द्वारा किया जाएगा बिहारीनगर में डॉ घनेंद्र वशिष्ठ के द्वारा ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य एवं अन्य ग्राम वासियों की उपस्थिति में अश्वगंधा के लाभों के बारे में लोगों को बताया गया तथा ग्राम वासियों द्वारा प्रत्येक घर में अश्वगंधा का पौधा लगाने का संकल्प लिया। आशाओं के द्वारा चिकित्सालय से प्रत्येक घर में पौधे लगवाने का दायित्व लिया गया है। भोगपुर आयुष्मान आरोग्य मंदिर की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ सोरमी सोनकर द्वारा गांव को गिलोय ग्राम बनाया गया, इस अवसर पर ग्राम प्रधान, क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधि एवं चिकित्सालय के कर्मचारियों सहित आशा कार्यकर्त्रियां भी उपस्थित रही। आयुष्मान आरोग्य मंदिर जगजीतपुर को तुलसी ग्राम बनाया गया, इस अवसर पर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अश्वनी कौशिक द्वारा ग्राम वासियों को तुलसी के फायदे के बारे में बताया गया तथा तुलसी की व्यावसायिक खेती कर इससे किस प्रकार लाभ प्राप्त किया जा सकता है इसके बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर चिकित्सालय के सभी कर्मचारी उपस्थित रहे।

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