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कवि साहित्यकार अरुण पाठक ने मुख्य मन्त्री धामी को दिया कांवड मेले को यूनेस्को से विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित कराने का सुझाव।

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip

प्रेस विज्ञप्ति
30 जुलाई, 2024
मुख्यमंत्री को दिया काँवड़ मेले को यूनेस्को से विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित कराने का सुझाव

हरिद्वार। लोकप्रिय कवि एवं साहित्यकार एवं चेतना पथ के संपादक श्री अरुण कुमार पाठक ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के साथ आज उनके हरिद्वार आगमन पर भल्ला कालेज हैलीपैड पर मुलाकात कर एक पत्र के माध्यम से हरिद्वार काँवड़ मेले को महाकुम्भ मेले की तर्ज पर ही यूनेस्को द्वारा विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित कराने के लिये प्रयास करने सुझाव दिया। श्री‌ धामी ने इस ओर सरकार की ओर से प्रयास किये जाने का आश्वासन भी दिया।मुलाकात के समय चेतना पथ प्रतिनिधि के रूप में नगर की उभरती गायिका सुश्री शीना भटनागर उनके साथ रहीं।‌ इस दौरान श्री धामी को चेतना पथ के नवीनतम अंक भी भेंट किये गये।
       श्री अरुण पाठक ने मुख्यमंत्री को‌ बताया कि उन्होंने विगत वर्ष हरिद्वार काँवड़ मेले पर पाँच काँवड़ गीतों‌ की एलबम भी बनायी थी, जो काफी लोकप्रिय हुई है। मुख्यमंत्री को दिये पत्र में श्री अरुण पाठक ने कहा है, कि वर्ष में दो बार लगने वाले इन काँवड़ मेलों में, दोनों बार केवल पन्द्रह दिनों‌ के भीतर ही, लगभग साढ़े तीन करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु अपनी काँवड़ भरने ‘हर की पैड़ी’ पर आते हैं तथा अपनी भक्ति, श्रद्धा और विश्वास के अनुरुप देश के विभिन्न शिवालियों में जलाभिषेक करते हैं।
       पत्र में श्री पाठक ने कहा है कि, “यह काँवड़ मेला आयोजन व्यवस्थाओं की दृष्टि से भी, बारह वर्षों बाद लगने तथा चार माह तक चलने वाले महाकुम्भ तथा छः वर्षों के अन्तराल पर होने वाले अर्धकुम्भ से भी अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने मुख्यमंत्री से हरिद्वार काँवड़ मेले को भी महाकुम्भ मेले की तर्ज पर यूनेस्को के द्वारा ‘विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ घोषित कराये जाने हेतु राज्य व केन्द्र सरकार के स्तर पर (सम्बन्धित मंत्रलयों व विभागों के माध्यम से) हर सम्भव प्रयास किए जाने के निर्देश देने का आग्रह किया और कहा है कि यूनेस्को द्वसरा इस मेले को विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किये जाने से, न‌ केवल देवभूमि उत्तराखंड तथा धर्मनगरी हरिद्वार बल्कि, स्वयं हरिद्वार काँवड़ मेले को भी एक नई ऊर्जा प्राप्त होगी।”

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