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‘प्रथम रविवार दस बजे दस मिनट’ शहीदों‌ के नाम’

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandi / Deshraj Sharma

‘इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के’ – जितेन्द्र रघुवंशी
हर जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय बनाये जाएँ – अरुण पाठक

हरिद्वार 2 फरवरी। राष्ट्रव्यापी अभियान ‘हर माह प्रथम रविवार दस बजे दस मिनट स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों शहीदों के नाम’ के अन्तर्गत पूरे देश के साथ ही शहीद जगदीश वत्स पार्क, जटवाड़ा पुल, ज्वालापुर में भी आज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति, हरिद्वार द्वारा राष्ट्रीय ध्वजारोहण तथा राष्ट्रगान के बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत भूषण विद्यालंकार ने ध्वजारोहण किया, राष्ट्रगान के पश्चात ‘भारत माता की जय’, ‘शहीद जगदीश वत्स अमर रहें’ तथा ‘स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर रहें के’ नारों से जगदीश वत्स पार्क का समूचा क्षेत्र गूंज उठा। शहीद जगदीश वत्स की प्रतिमा पर भारत भूषण विद्यालंकार, जितेन्द्र रघुवंशी, हरित ऋषि विजय पाल बघेल, वीरेन्द्र गहलौत, अरुण कुमार पाठक तथा सुरेश चन्द्र सुयाल ने माल्यार्पण किया। साथ ही उपस्थित स्वतंत्रता सेनानी शहीद परिवारों के सदस्यों तथा अन्य गणमान्य नागरिकों ने भी पुष्पाँजलि अर्पित की।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत भूषण विद्यालंकार ने अपनी माता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीमती भागीरथी देवी की 107 वीं जयंती की जानकारी देते हुए बताया कि, “वे लगभग 6 वर्ष तक जेल में रहीं, इसी कारण मैं जेल में ही पैदा हुआ।” समिति के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने उपस्थित जनसमुदाय तथा देश भर में इसी समय आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में उपस्थित भाई-बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, “स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के लिए यह पावन पर्व विशेष है, क्योंकि इसकी प्रेरणा लेकर ही हमारे क्रान्तिकारियों ने ‘मेरा रंग दे बसन्ती चोला’ का उद्घोष करके आजादी के मतवालों के दिल में क्रान्ति के बीज बोए थे।” रघुवंशी ने आज उन्हीं क्रान्तिकारियों की पुकार को आत्मसात् करने की प्रेरणा देते हुए देशभर में आज स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारकों तथा शहीद स्थलों पर श्रद्धांजलि समर्पित करने आए नई पीढ़ी के बच्चों का आवाहन किया कि क्रान्तिकारियों की पुकार को मोहम्मद रफी ने अपनी आवाज देते हुए गाया था ‘हम लाए हैं तूफान से किश्ती निकाल के, इस देध को रखना मेरे बच्चों संभाल के’। हमें अपने पूर्वज स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिए इसी जज्बे को अपनाना होगा। आजादी के बाद हमारे पूर्वजों ने जिन हाथों में सत्ता सौंपी थी, उनसे उन्हें उम्मीद थी कि हमारे स्वप्नों के अनुरूप देश विकास करेगा, किन्तु अभी तक वह स्वप्न साकार नहीं हो पाया है। इसके लिए सरकार को उनके दायित्व का बोध कराने के लिए हमारी अगली पीढ़ी को आगे आना होगा।” उन्होंने कहा कि, “जिस उत्साह के साथ हर महीने प्रथम रविवार 10 बजे 10 मिनट स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों शहीदों के नाम अभियान के माध्यम से स्वतंत्रता सेनानी शहीद परिवारों को संगठित किया जा रहा है, उससे यह दृढ़ विश्वास हो गया है कि, हमारी संयुक्त शक्ति सरकार को सेनानी परिवारों को विशिष्ट पहचान देकर उनके अधिकार देने के लिए विवश करेगी।”
हरित ऋषि विजय पाल बघेल ने अपने सम्बोधन में विश्वास व्यक्त किया कि, जिस कर्तव्यनिष्ठता से यह संगठन कार्य कर रहा है, शीघ्र ही इन्हें वह अधिकार मिलेंगे, जिसके सेनानी परिवार हकदार हैं।” सेनानी परिवारों की कीर्ति ध्वजा फहराने वाले साहित्यकार अरुण कुमार पाठक ने मांग की कि, देशभर में हर जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा शहीदों की स्मृति को संजोने के लिए संग्रहालय बनाये जाने चाहिये। श्री सुरेश चन्द्र सुयाल ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि, स्वतंत्रता सेनानी परिवारों की अगली पीढ़ी को अब आगे आना चाहिए, उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी परिवार का होने पर गौरव की अनुभूति कर कराया।

‌‌‌‌‌‌ कार्यक्रम में ललित कुमार चौहान, वेद प्रकाश आर्य, ऋषभ गहलोत, शिवेंद्र गहलोत, अशोक चौहान, कैलाश वैष्णव, श्रीमती मधुबाला, श्रीमती आशा रघुवंशी, श्रीमती पद्मा देवी, आदित्य प्रकाश उपाध्याय, अरविंद कौशिक, वीरेन्द्र गहलोत जी, नरेंद्र कुमार वर्मा, कर्ण सिंह राणा, आदित्य गहलोत, अनुराग गौतम, पद्मा देवी, जोगिंद्र सिंह तनेजा, परमेश चौधरी, सुरेन्द्र छाबड़ा तथा कमल छाबड़ा सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे।

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