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‘परिक्रमा’ की गोष्ठी में कवियों‌ ने किया शिशिर गुणगान’कुसुमित सुगंधित पुष्प फिर से मधुप कुंजन गा रहा

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip

नगर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था परिक्रमा साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच ने शिशिर (शीत ऋतु) के सम्मान में सामुदायिक केन्द्र, सैक्टर 4, भेल के सभागार में एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें नगर के शीर्षस्थ काव्य रचनाकारों के अपनी-अपनी विधा में शीत ऋतु का जम कर गुणणान किया, तो अन्य अनेक विषयों पर भी अपनी जोरदार प्रस्तुतियाँ रख कर श्रोताओं की तालियाँ बटोरी।


माँ वीणापाणिनी के विग्रह के सम्मुख दीप प्रज्वलन,  माल्यार्पण, पुष्पार्पण तथा संस्था की उपाध्यक्ष नीता नय्यर ‘निष्ठा’ की वाणी वन्दना के उपरान्त हुए काव्यक्रम में शिशिर का स्वागत करते हुए कवि एवं गीतकार भूदत्त शर्मा ने ‘रात के पीछे भी कल था, रात के आगे भी कल है’, युवा कवि प्रभात रंजन ने ‘शीतल मूर्छित तुहिन कणों को, प्यार करेगा सूरज ही’ तथा वरिष्ठ कवि अरुण कुमार पाठक ने ‘कुसुमित सुगंधित पुष्प फिर से मधुप कुंजन गा रहा, मस्त अंदाज हो रहे, नव शरद आगन्तुक हुआ’ के साथ शरद ऋतु के आगमन के दृश्य प्रस्तुत किये।


मूर्धन्य कवि साधुराम ‘पल्लव’ ने ‘सत्य सहिंसा से नहीं, चल पाता अब काम, गाँधी बोले बेटियों अब लाठी लो थाम’ कवि मदन सिंह यादव ने ‘अनुपम साहस, शौर्य स्वरूपा, यह भारत की नारी है’, नवोदित वंदना झा ने ‘गली-गली में सीता है, तो राम और रावण भी’, कंचन प्रभा गौतम ने ‘सदैव विपरीत राहों पर चली हूँ, नित जीवन के संघर्षों से सजी हूँ’, ओज कवि दिव्यांश ‘दुष्यन्त’ ने ‘द्रौपदी सिंह जनता बेचारी दुर्योधन की मारी है’, डा. कल्पना कुशवाहा ‘सुभषिनी’ ने ‘मैं स्वर तेरा बन जाउँगी, गीत मेरे तुम बन जाओ’ और नीता नय्यर ‘निष्ठा’ ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का, कैसे मैं हिस्सा बन जाऊँ’ के साथ नारी की विभिन्न विडम्बनाओं को चित्रित किया।


वरिष्ठ गीतकार सुभाष मलिक‌ ने ‘सौ बार कहा उससे मैंने, अब भूल भी जा, मुझे याद न कर’ तथा साधूराम ‘पल्लव’ ने साथ ही परिक्रमा सचिव शशिरंजन ‘समदर्शी’ ने ‘एक मुल्क पड़ौसी यहाँ विष पी कर मदहोश है’ के साथ बंगलादेश के वर्तमान हालातों पर चिंता व्यक्त की। महेन्द्र कुमार ने ‘दौड़ रहा अपने को पैसा, धंधा चाहे हो भी कैसा’ से पैसे की महिमा, युवा जोश के कवि अरविन्द दुबे ने ‘मत पूछो हम कवियों से, के हम कैसे जीते हैं’ से कवियों के हालातों, हेम चन्द ‘हेमंत’ ने ‘जीवनदायिनी विकास की राह पर मैली हो गयी’ के साथ गंगा प्रदूषण की हालत पर अपना काव्य पाठ किया।


इसके अतिरिक्त गोष्ठी में कुसुमाकर मुरलीधर पंत, पुष्पराज धीमान ,’भुलक्कड़’, अनुराधा पांडेय, देवेन्द्र चौहाम आर्य तथा विजय वर्मा ने भी गोष्ठी में काव्य पाठ किया। वयोवृद्ध कवि तथा संस्था के अध्यक्ष पं. ज्वाला प्रसाद शांडिल्य ‘दिव्य’ ने काव्य प्रस्तुतियों की समीक्षा करते हुए ‘कंकड़-कंकड़ जब बने, कंचन रूप समान, करना होगा रैन दिन अति उत्तम श्रमदान’ सुना कर निरंतर श्रमदान करते रहने के लिये प्रेरित किया। गोष्ठी का संचालन परिक्रमा सचिव शशिरंजन समदर्शी ने किया।

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