जी20 समिट के आखिरी दिन पीएम मोदी समेत दुनिया के तमाम ताकतवर नेता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पहुंचे
इतिहास में यह पहली बार है, जब पीएम मोदी समेत दुनिया के तमाम ताकतवर नेता महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पहुंचे और सभी ने एक साथ बापू को नमन किया। ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, इटली की पीएम जियोर्जिया मेलोनी, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज, दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति, जापानी पीएम फुमियो किशिदा, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो, स्पेन के उपराष्ट्रपति नादिया कैल्विनो, मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग, नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूट, मॉरीशस के प्रधान मंत्री प्रविंद कुमार जुगनाथ, ओमान के उपप्रधानमंत्री असद बिन तारिक बिन तैमुर अल सैद, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम का नाम शामिल है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रविवार सुबह दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में दर्शन किए. जहां उन्होंने पत्नी अक्षरा मूर्ति संग स्वामी नारायण भगवान के दर्शन किए। वहीं, सुनक के अक्षरधाम दौरे को लेकर दिल्ली पुलिस ने यहां सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए। जानकारी के मुताबिक अक्षरधाम मंदिर में ऋषि सुनक ने करीब एक घंटे बिताए। इस दौरान उन्होंने पतिनी संग जलाभिषेक के साथ-साथ पूजा-अर्चना की। बता दें, सुनक की हिंदू धर्म में आस्था जगजाहिर है। समिट के पहले दिन कई मुद्दों पर चर्चा की।
रूस-यूक्रेन जंग के बाद जी20 का पहला साझा घोषणा पत्र सामने आया। इसके अलावा भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट के बीच बेहद अहम इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर डील हुई। इसके बाद सभी मेहमान प्रेसिडेंट डिनर में शामिल हुए। कई मेहमानों को भारत के पारंपरिक लिबास में देखा गया। समिट के पहले सेशन में भारत ने अफ्रीकन यूनियन को जी20 का परमानेंट मेंबर बनाने का प्रस्ताव रखा था। बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से पीएम मोदी ने जैसे ही इसे पारित किया, अफ्रीकन यूनियन के हेड अजाली असोमानी जाकर पीएम मोदी के गले लग गए। भारत के प्रस्ताव का चीन और यूरोपियन यूनियन ने भी समर्थन किया। यूनियन को मेंबरशिप मिलने से अफ्रीका के 55 देशों को फायदा होगा।