जानिए आम के गुण और प्रयोग
Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandip
उत्तरी भारत में :
लंगड़ा, चौसा, दशहरी, बाम्बे, ग्रीन फजली ,केसर , तोतापरी , नीलम
पूर्वी भारत :
हिम सागर, लंगड़ा, गुलाब, खास फजली
पश्चिम भारत :
अलकास्ते, पैरी, राजापुरी, जमादार, गोवा
दक्षिणी भारत :
नीलम, बंगलोरी, रोमानी, स्वर्ण रेखा, बेगमपल्ली, बादाम-रसपुरी, मलगोवा , हापूस ,रत्नागिरी. पायरी इत्यादि होते है।
आम की ज्यादातर किस्मों में यह विशेषता रहती है कि एक साल तो पेड़ बहुत फल देता है दूसरे वर्ष कम देता है, तीसरे वर्ष पुन: भरपूर फल प्रदान करता है।
आम में जल 86.1 प्रतिशत, प्रोटीन, 6.6 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, खनिज लवण 0.3 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 11.8 प्रतिशत, रेशा 1.1 प्रतिशत, कैल्शियम 0.01 प्रतिशत, फास्फोरस 0.02 प्रतिशत। 100 ग्राम आम में 5 मिलीग्राम लोहतत्व पाया जाता है। पके आम के प्रति 100 ग्राम में 50 से 80 कैलोरी ऊर्जा तथा 4500 आइ.यू.विटामिन ‘ए’ पाया जाता है। इसके अलावा विटामिन बी, सी तथा डी भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। सोडियम, पोटेशियम, ताम्र, गंधक, मैग्नीशियम, क्लोरीन तथा नियासीन भी पके आम में पाए जाते हैं।
आम में उपस्थित शक्कर को पचाने के लिये जीवनी शक्ति का अपव्यय नहीं करना पड़ता है अपितु वह स्वयं पच जाती है।
आम में सभी फलों से अधिक केरोटीन होता है जिससे शरीर में विटामिन ए बनता है।
यह फल नेत्र-ज्योति तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिय वरदान है।
रतौंधी में रसीला और चूसने वाला आम का फल अधिक लाभदायक साबित होता है।
आम के रस को दूध में मिलाने से इसके गुणों में और वृद्धि हो जाती है। दूध के साथ खाया “आम” वात, पित्त नाशक, रूचिकर, वीर्यवर्द्धक, वर्ण को उत्तम करने वाला, मधुर, और शीतल होता है। आम का रस चूस कर दूध पीने से आंतों को बल मिलता है तथा कब्ज दूर होती है।
आम खाने से मांस बढ़ता है, खून की मात्रा बढ़ती है और शरीर की थकावट दूर होती है। पका हुआ आम एक अच्छी खुराक है और एक बलदायक भोज्य पदार्थ माना गया है।
यदि शरीर में कोई घाव नहीं भर रहा हो तो आम खाने से वह शीघ्र भर जाता है।
एक कप आम का रस , 50 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से क्षय रोग में काफी लाभ होता है।
इसमें मौजूद पोटेशियम और मैग्नेशियम से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है ।
इसमें पेक्टिन होता है जो कोलेस्ट्रोल कम करता है।
पेक्टिन से केंसर की संभावना विशेषकर प्रोस्ट्रेट और आहार – नली के कैंसर की संभावना कम होती है।
आम वजन बढ़ाने में सहायता करता है।
गर्भावस्था में रोज़ एक आम खाना अच्छा होता है।
आम बुढापे को रोकता है , ब्रेन की मदद करता है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाता है ।
आम के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से प्लीहा-वृद्धि की विकृति मिटती होती है।
आम का रस 200 ग्राम, अदरक का रस 10 ग्राम और दूध 250 ग्राम मिलाकर पीने से शारीरिक व मानसिक निर्बलता नष्ट होती है। स्मरण शक्ति तीव्र होती है।
आम के बीज को धो कर सुखा कर उसे भून लेते है । उसे फोड़कर उसके अन्दर की गिरी मुखवास में इस्तेमाल की जाती है । यह बहुत पोषक होती है और पेट के लिए बहुत अच्छी होती है।
आम की गुठली की भीतर की गिरी और हरड़ के बराबर मात्रा में दूध के साथ पीसकर मस्तक पर लेप करने से सिरदर्द नष्ट होता है।
आम की गुठली की भीतरी गिरी को सुखाकर बारीक चूर्ण बनाकर जल के साथ सेवन करने से स्त्रियों का प्रदर रोग दूर होता है।
आम वृक्ष पर लगे बौर को एरण्ड के तेल में देर तक पकाएं, जब बौर जल जाएं तो तेल को छानकर बूंद-बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
धांत पर और प्रदर पर मेरा अनभूत
आम गुठली, जामुन बीज, आमला, मिश्री समभाग लेकर चूरण करें । सुबह – शाम जल या छाछ से लें ।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
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