Search for:
  • Home/
  • Breaking News/
  • शिवकृपानंद स्वामी के सान्निध्य में संयुक्त राष्ट्रसंघ मुख्यालय वियेना में ‘हिमालयीन ध्यानयोग’ शिविर संपन्न

शिवकृपानंद स्वामी के सान्निध्य में संयुक्त राष्ट्रसंघ मुख्यालय वियेना में ‘हिमालयीन ध्यानयोग’ शिविर संपन्न

Listen to this article

Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandi

लिक्टनश्टाइन देश में वर्ल्ड मेडिटेशन फाउंडेशन द्वारा विश्व योग दिवस पर ‘हिमालयीन ध्यानयोग’ शिविर का आयोजन योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है जिसे अपनाकर मनुष्य जाति, धर्म, रंग, लिंग, भाषा के भेद से ऊपर उठकर स्वयं को संतुलित कर अपनी आध्यात्मिक एवं सर्वांगीण प्रगति कर सकता है। दिनांक 21 जून का दिन विश्वभर में योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिमालयीन ध्यान संस्कार के प्रणेता शिवकृपानंद स्वामी ने आत्मज्ञान प्राप्त करने हेतु कईं साल हिमालय में ध्यान-साधना की है और पिछले 31 साल से हिमालय के गहन ज्ञान को समाज में बाँटने का कार्य अविरत कर रहे हैं। उनके अथक प्रयत्नों से आज यह ध्यान विश्वभर में फैला हुआ है और 70 से अधिक देश के लोग इसी पद्धति से ध्यान करके अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं। विश्व के अनेक देशों का दौरा करके स्वामीजी ने ध्यान की इस अमूल्य धरोहर से लोगों को अवगत कराया है।


हाल ही में स्वामीजी अपनी जर्मनी की यात्रा पर हैं इस दौरान संयुक्त राष्ट्रसंघ मुख्यालय वियेना ऑस्टिया में ‘हिमालयीन ध्यानयोग’ शिविर का आयोजन किया गया। दो घण्टे के इस कार्यक्रम में पूज्य स्वामीजी के सान्निध्य में प्रवचन और प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम बहुत अच्छे से हुआ। इस साल विश्व योग दिवस स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया की मध्य में स्थित लिक्टनश्टाइन में पूज्य स्वामीजी के सान्निध्य में मनाने का आयोजन हुआ है। यह विश्व का सबसे छोटा देश है और जिसका विश्व ध्यान दिवस का प्रारंभ करने में विशेष योगदान है।

विश्व योग दिवस के अंतर्गत World meditation foundation, Samarpan Meditation Deutschland Stiftung GANTEN Treuhand AG द्वारा 21 जून शाम 4 से 7 तक लिक्टनश्टाइन में पूज्य स्वामीजी के सान्निध्य में पूरा आयोजन किया गया है। इस कार्यकम में स्वामीजी का प्रवचन, सामूहिक ध्यान और प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम होगा।

योग दिवस के बारे में स्वामीजी कहते हैं कि विश्वभर में लोग योग दिवस मनाते हैं। न्यूजपेपर और टेलीविजन चैनल पर योग यानी योगासन उतना ही अर्थ लगाते हैं, परंतु योग यानी योगासन नहीं है। अष्टांग योग का एक भाग योगासन है। योग यानी सबमें से मुक्त होने का मार्ग। मुक्त होने का मार्ग यानी तुम जैसे पैदा हुए थे; जन्म के बाद जितनी चीज़ें जुड़ी हैं उसमें से मुक्त होना। यह मुक्त अवस्था ध्यान से पाई जा सकती है। योग सही मायने में लोगों तक पहुँचे इसलिए स्वामीजी प्रयत्नशील हैं।

Leave A Comment

All fields marked with an asterisk (*) are required