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12 रेंज मे हुई पाड़ा की गणना, डिकाला रेंज में सबसे अधिक पाए गए पाड़ा

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Kuldeep Khandelwal/ Niti Sharma/ Kaviraj Singh Chauhan/ Vineet Dhiman/ Anirudh vashisth/ Mashruf Raja / Anju Sandi

कार्बेट टाइगर रिजर्व में प्राकृतिक आवास में हॉग डियर (पाड़ा) की अनूकुलता की जानकारी हेतु हाँग डियर (पाड़ा) गणना कार्बेट टाइगर रिजर्व के सभी 12 रेंजों में प्रत्येक बीट स्तर पर की गयी। जिसमें हर बीट में एक प्रगणक और दो सहायक द्वारा निर्धारित समयावधि में बीट का भ्रमण कर प्रत्यक्ष दृष्टि आधारित गिनती (Direct Sighting) के माध्यम से पाड़ा की संख्या को दर्ज किया गया। इस प्रक्रिया में प्रत्येक सर्वेक्षण टीमों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया, ताकि गणना में सटीकता बनी रहे।

यह गणना 03 दिनों 22, 23 और 24 मई को सुबह 8:00 बजे से 12:00 बजे तक संपन्न की गई। यह सर्वे कार्बेट टाइगर रिजर्व, WWF इंडिया और कॉर्बेट फाउंडेशन के सहयोग से संपन्न हुआ, जिससे गणना को वैज्ञानिक पद्धति से और समग्र रूप से संपादित किया गया। गणना कार्य से पूर्व कार्बेट वन्यजीव प्रशिक्षण केन्द्र, कालागढ़ में डब्लू०डब्लू०एफ० इण्डिया तथा द कार्बेट फाउण्डेशन के सहयोग से प्रशिक्षण दिया गया।

इस वर्ष की गणना में कुल 189 पाड़ा (हॉग डियर) प्रत्यक्ष रूप से देखे गये हैं, जिसमें वयस्क पाड़ा की संख्या 156 एवं पाड़ा शावक की संख्या 36 दर्ज की गयी। जबकि पिछली बार वर्ष 2021 में यह संख्या 179 थी। यह आंकड़ा संरक्षण के क्षेत्र में एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। ढिकाला रेंज में सर्वाधिक 175 पाड़ा दर्ज किए गए, जो इस रेंज की समृद्ध जैव विविधता और उपयुक्त घासभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाता है।

कार्बेट टाइगर रिजर्व के निर्देशक डॉ० साकेत बडोला, निदेशक, कहते है कि पाड़ा एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण मृग प्रजाति है जो मुख्यतः घासभूमि और तराई क्षेत्रों में पाई जाती है। यह शाकाहारी प्राणी बाघ जैसे प्रमुख शिकारी प्राणियों के लिए प्राकृतिक आहार श्रृंखला का अभिन्न हिस्सा है। इनकी संख्या में वृद्धि न केवल पारिस्थितिक संतुलन का संकेत देती है, बल्कि यह भी बताती है कि रिजर्व में प्राकृतिक आवास और पारिस्थितिक तंत्र संतुलित हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक गणनाएं वन्यजीवों की वर्तमान स्थिति का आंकलन करने में सहायक होती हैं और इसके आधार पर भविष्य की संरक्षण रणनीतियाँ तैयार की जा सकती हैं। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व भविष्य में भी इस प्रकार के शोध आधारित संरक्षण गतिविधियों को निरंतर जारी रखेगा, जिससे क्षेत्र की जैव विविधता सुरक्षित और समृद्ध बनी रहे।

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